गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

दिल में रहा करते थे पहले प्यार की तरह.
जेहन में पड़ गए हो अब दरार की तरह..

रिश्तों के फ़र्ज़ तुमसे निभाए नहीं गए
फैलाए रहे हाथ इक हक़दार की तरह.....

मांगी नहीं थीं नेमतें तुमसे ज़माने की
तुमने निभाया साथ भी व्यापार की तरह....

ख्वाहिश थी कि चख लूँ दो घूँट प्यार के
तेरे लफ्ज़ दहके सदा अंगार की तरह.....

अब रूठा-रूठी का न हमसे खेल खेलिए
जज़्बात ढह चुके मेरे दीवार की तरह.....

लम्बी हो उम्र तेरी, दुआ तेरे लिए की
अब जी रही है "चाँदनी" मज़ार की तरह...

बुधवार, 1 दिसंबर 2010