यह कुत्ते की दुम हैं
हर जरूरत के वक्त पर
आप इन्हें खोजेंगे मगर नहीं पाएंगे
यह गर सामने पड़ भी गए तो
आंख बचाकर धीरे से निकल जाएंगे
हां, अगर मजबूरी में सामना हो भी गया तो यह
हाथ जोड़ेंगे, दांत भी निपोरेंगे
आप अवाक सिर्फ इन्हें देखेंगे
और देखते ही रह जाएंगे क्योंकि
इनकी फरेबी अदाओं के जाल पर
बनाई गई बेचारगी और हाल पर
आप कुछ सोच नहीं पाएंगे
अपनी दिखावटी बातों से
इतनी मेहरबानियां बरसाएंगे
पल में आपके खयालात
बदल जाएंगे
बदलाव भी इतना ज्यादा होगा कि
इनकी सज्जनता के सामने
अन्य लोग बौने नजर आएंगे
यहां तक कि अपने ‘खास’के बारे में भी
बदल जाएगा नजरिया
वे सब बेवफा समझ में आएंगे
महसूस ऐसा होगा मानों
अब तक इनके बारे में बनाई गई धारणाएं
विचार और सुनी कथाएं
सब सिर्फ बकवास थीं
हकीकत में यह औरों से भी भले लोग हैं
बिचारे हैं , सबमें प्यारे हैं
आफत में भी हमारे हैं
मायावी रूप का ऐसा चलेगा जादू
विचार शून्य हो आप भूल जाएंगे
जो दिखा वह सिर्फ दिखावा था
हकीकत ऐसी हो नहीं सकती
क्यों कि यही सच है
की दुम कभी सीधी हो नहीं सकती.
बिहार में शिक्षा की दुरवस्था के बहाने
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शिक्षा की बिगड़ती स्थिति पर चर्चा सामाजिक पतन के संदर्भ में ही हो सकती है।
तीस-चालीस साल पहले हम शिक्षा को अगर बेहतर स्थिति में पाते हैं तो उसके कारण
भी हैं...